गुंनु ओर उसकी साइकिल
गुंनु ओर उसकी साईकिल आज गुंनु के लिए बड़े खुशी का मौका था।गुंनु के पापा पवनके द्वारा उसकी डिमांड , कई बार याद दिलाने के बाद पूरी हो रही थी , वो थी गुंनु साईकिल की रिपेयरिंग जी हाँ जो करीब 3 महीने से रिपेयर होने की बाट जो रही थी, हालांकि साईकिल तो उसकी दीदी की थी, जो की उसके लिए पूर्ण उम्र को प्राप्त होकर किसी काम की नही रही थी ओर अघोषित रूप से अपने छोटे भाई को दी जा चुकी थी। ओर ऐसा भी नही था के उसके पवन साईकिल ठीक नही करवाना चाहता था लेकिन आदमी के जीवन की बहुमूल्य चीज "समय" का अभाव उनके लिए कुछ ज्यादा ही था। पवन की तरफ से घर के सदस्यों के लिए केवल सुबह ओर रात ही थी , नॉकरी पे सुबह जल्दी निकल जाना और रात को पहुँचना उनकी नियति थी। अवकाश आता तो घर के जरूरी काम मे ही दिन निकल जाता । फिर एक दिन गुंनु के लिए वह स्वर्णिम दिन आ ही गया। पवन ने गुंनु को बुलाया और कहा - "गुंनु आज तेरी साईकिल ठीक करवाने चले? गुंनु खुशी से उछलते हुए उसकी मम्मी से - मम्मी आज मेरी साईकिल ठीक होने जा रही है , फिर क्या था पवन ने एक